तुम्हारे जीवन पर जो हक पूरा दिखाते हैं,वो मौत के समय कहाँ छुप जाते हैं?
दोहा:कुल करनी के कारने, ढिग ही रहिगो राम।कुल काकी लाजि है, जब जमकी धूमधाम॥
वक्ता: जब समय था कि राम को पा लो, तब तो घर, खानदान, परिवार इन्होंने खूब भांजी मारी।
वो याद है न, क्या कहा था कबीर ने?
मात–पिता सुत इस्तरी आलस बन्धु कानि।
साधु दरस को जब चले ये अटकावै खानि।।
जब तो राम का नाम लेने का समय था, तो माँ-बाप ने, पति-पत्नी ने, बंधुओं ने और सखाओं ने तुम्हें लेने नहीं दिया। इन्होंने तुमसे कहा, “नहीं, नहीं तुम…