तुम्हारी हैसियत है कुत्ते जैसा होने की?

प्रश्न: हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है?
आचार्य प्रशांत: न हो तो?
श्रोता १: तो हमारे और जानवरों में क्या फर्क रह जाएगा?
आचार्य प्रशांत: न हो तो? तुम में और जानवरों में कोई फर्क नहीं है, इसकी चिंता जानवरों को होनी चाहिए न!
“हममें और इंसानों में कोई फर्क ही नहीं है”, यह परवाह तो जानवरों को होनी चाहिए।