तुम्हारी ही रोशनी गुरु बनकर सामने आ जाती है
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, क्या हममें क्षमता नहीं है जीवन को समझने की? क्या गुरु का होना ज़रुरी है?
आचार्य प्रशांत: ये नहीं कहना चाहिए कि हममें क्षमता नहीं है तो हमें गुरु का सहारा लेना चाहिए। इसको ऐसे कहते हैं कि हमारी हीं जो क्षमता है वो हमारे सामने गुरु बनकर खड़ी हो गयी है। अगर कहोगे, “हमारी क्षमता नहीं है इसलिए हमें गुरु का साथ लेना है” तो तुमने गुरु को क्या बना…