तुम्हारी सीमा ही तुम्हारा दुःख है
विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात्।
संबाहुभ्यां धमति सं पततैर्द्यावाभूमी जनयन्देव एकः॥
वह एक परमात्मा सब ओर नेत्रों वाला, बाहुओं और पैरों वाला है। वही एक मनुष्य आदि जीवों को बाहुओं से तथा पक्षी-कीट आदि को पंखों से संयुक्त करता है, वहीं इस द्यावा पृथ्वी का रचयिता है।