तुम्हारी बेवफ़ाई ही तुम्हारी समस्या है

तुम्हारी बेवफ़ाई ही तुम्हारी समस्या है

श्रोता १: सर, मेरी लाइफ में बहुत सारे चिंता के विषय होते हैं जैसे मेरे परिवार में मेरे पेरेंट्स के बीच कुछ हो गया, झगड़ लिए हैं दोनों तो फिर उन दोनों को समझाना है पर वो समझ नहीं रहे । जैसे एक दोस्त है कि जा रहा है खाए जा रहा है उसका मन ही नहीं भरता और बढ़ता जा रहा है कैसे उनकी प्रॉब्लम को दूर करें?

वक्ता: सवाल ये है कि समस्या उनकी है या तुम्हारी है?

श्रोता १: सर, समस्या उनकी है पर परेशानी मेरी।

वक्ता: तो एक बात मूल भूत रूप से समझ लो जो खुद समस्या ग्रस्त है वो किसी कि समस्या हल नहीं कर सकता।

श्रोता १: सर, मुख्य बात ये है कि उनकी समस्या हल करने का समय नही है।

वक्ता: उनको भूल जाओ तुम्हारे पास अभी अपनी ही काफी हैं। उनको भूल जाओ। अपने आप को सुलझा लो तब तुम इस काबिल हो कि दुनिया को सुलझा सको। हम ये भूल जाते हैं कि हम खुद कितने बीमार हैं हम ये भूल जाते हैं कि हम खुद कितने अंधे हैं। हम दूसरों को सड़क पार कराने लगते हैं । अब क्या होगा?

श्रोता २: दूसरों को लेकर मरेंगे ।

वक्ता: कबीर कहते है अँधा अंधे ठेलिया दोनों कूप पडंत। कूप माने कुआँ। अँधा अंधे को रास्ता दिखा रहा था दोनों कहाँ जा के पड़े?

सभी साथ में: कुँए में।

वक्ता: तो यही हालत है अपना अंधापन दूर करो न पहले फिर किसी को राह दिखाना। वो बोलता है ऐसा नहीं है सर। दो बातें है पहली हम अंधे हैं नहीं। दूसरी अगर हम अंधे हों भी तो दूसरे को सलाह…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org