तुम्हारी ज़िन्दगी, तुम्हारी ज़िम्मेदारी

प्रश्नकर्ता: आपके हिसाब से एक साधक को या जो इस रास्ते पर चल रहा है, उसको क्या करना चाहिए? उसका क्या कर्तव्य होना चाहिए?

आचार्य प्रशांत: पूछने की बात ही नहीं है, बात तुम्हारे अपने अनुभव की है। दिन भर जो अनुभव हो रहे हैं, क्या जानते नहीं हो वो कैसे हैं? दफ्तर लेट (देरी से) पहुँचते हो और दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है कि कहीं बॉस का सामना ना हो जाए। जानते नहीं हो कि ये क्या है?

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org