तुम्हारी ज़िन्दगी, तुम्हारी ज़िम्मेदारी

शुरुआत वहाँ से होती है जहाँ आप कहें कि आपको समस्या है। समस्या को ही अगर अपनी उपलब्धि मान रहे हो तो समस्या का समाधान कभी होगा क्या? तुम्हारी ज़िन्दगी की जो बड़ी से बड़ी समस्याएँ हैं, देखो कि उसमें कितनी संयोगवश आई है, और कितनी तुम्हारी उपलब्धियाँ है जो तुमने कोशिश कर-कर के कमाई हैं।

सबसे पहले वो ईमानदारी चाहिए। देखिये हम बार-बार ये कह के कि मैं अनभिज्ञ हूँ अपनी समस्या से, अपने लिए बचने का बहाना तैयार कर लेते हैं।

अध्यात्म बस आपके अंदर जो बेईमानी बैठी है उसको चुनौती दे कर काटता है। अध्यात्म आपको बताता है कि जो हो रहा है अनजाने में नहीं हो रहा है, आप खुद कर रहे हैं। और करते रह सके इसके लिए आप ये झूठा बहाना लेके घूम रहे हैं कि मुझे तो पता ही नहीं कि क्या हो रहा है?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org