तुम्हारा अहंकार ही तुम्हारी समस्याओं का कारण

प्रश्नकर्ता: क्या अहंकार ही हमारी समस्याओं का कारण है?

आचार्य प्रशांत: अहंकार अगर समस्याओं का कारण है, तो उन समस्याओं का अनुभोक्ता कौन है? अहंकार के कारण समस्याएँ हैं, किसको?

तो ये कहना ठीक है कि अहंकार के कारण समस्याएँ होती हैं। पर ये कहना और ज़्यादा ठीक है कि अहंकार को ही समस्याएँ होती हैं। अर्थ क्या है इसका?

अभी आप यहाँ बैठे हुए हैं, इस कक्ष में बहुत कुछ है। आपके लिए क्या है? पीछे एक मेज़ रखी हुई है, वो आपके लिए है? ऊपर पंखें हैं, वो आपके लिए हैं? और पीछे एक दरी पड़ी है, वो आपके लिए है? अभी आपके लिए क्या है? आपमें से कितने लोग अभी बैठे हो तो कुर्सी का ख़्याल कर रहे हो? आप यहाँ अगर मौजूद हो तो आपके लिए क्या है? और अगर आप वो हो जो सुख-सुविधा की ही तलाश में है लगातार तो फिर आपके लिए कुर्सी, मेज़, दरी, पंखा, एसी (वातानुकूलक) ये सबकुछ हैं। अगर आप वो हो जो दुनिया के साथ ही लगा हुआ है, तो आपके लिए दरवाज़े से बाहर जो कुछ है, वो सबकुछ है। आपके लिए क्या है?

जो यहाँ ध्यानपूर्वक मौजूद है उसके लिए यहाँ पर सबकुछ होते हुए भी कुछ नहीं है। उसके लिए या तो मौन है, या वक्ता का स्वर है, या मात्र एक शांत-सामीप्य है। ठीक उसी तरीके से इस कक्ष को अगर आप पूरा संसार मानें, जगत मानें, तो इसमें हर तरफ़ स्थितियाँ पड़ी हुई हैं, जिसमें से कुछ स्थितियों को अहंकार अनुकूल मानता है कुछ को प्रतिकूल मानता है। जिनको प्रतिकूल मानता है, उनको समस्याएँ कहता है, पर उनकी ओर वह आकृष्ट तभी होगा जब उसका वास्तविक से कोई लेना-देना ना हो। अन्यथा…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org