ताकत मत माँगो, देखो कि क्या तुम कमज़ोर हो

प्रश्न: आचार्य, ताकत पाने के लिए क्या किया जाए?

आचार्य प्रशांत: तुममें ताकत ही ताकत है, कमज़ोरी कहाँ है? तुम्हें क्यों लगता है कि कोई ख़ास ताकत होनी चाहिए तुम्हारी? ज़रूर कमज़ोरी का कुछ एहसास है जिसके कारण ताकत की बात कर रहे हो। ताकतवर कहाँ ताकत की बात करता है? कभी किसी स्वस्थ आदमी को देखा है स्वास्थ्य की चर्चा करते हुए? स्वास्थ्य की चर्चा तो बीमारी की मौजूदगी में ही की जाती है। सबसे ज़्यादा स्वास्थ्य कब याद आता है? जब बीमार होते हैं। तो क्यों बात कर रहे हो ताकत की? कमज़ोरी कहाँ है? और अगर ताकत की बात कमज़ोरी के एहसास से निकली है, तो पहले क्या आया? ‘कमज़ोरी का एहसास’ — तो क्यों न उसकी बात करें। क्योंकि अगर कमज़ोरी का एहसास न हो तो ताकत की बात छिड़ेगी ही नहीं। कमज़ोरी का एहसास कहाँ से आया? किसने तुम्हें कहा कि, ‘तुम कमज़ोर हो’?

प्रश्नकर्ता १: आचार्य जी, कहा किसी ने नहीं बस कभी-कभी अन्दर से ही ऐसा लगता है।

आचार्य जी: तुमसे जो पहली बात कही मैंने तुमने उसे ठीक से समझा क्या? यह सवाल ही कौन पूछता है कि, “मुझमें कोई ताकत है या नहीं”, यह कौन पूछता है? जिसको लग रहा होता है कि कमज़ोर है। तुम्हें लगना कब शुरू हुआ कि तुम कमज़ोर हो? और किन-किन तरीकों से तुम्हें यह एहसास हुआ कि तुम कमज़ोर हो? यहाँ तक बात साफ़ थी कि जो कमज़ोर नहीं है, वो ताकत की बात करेगा नहीं।

तुम दिन में कितनी बात सोचते हो अपनी किडनी के बारे में? और अगर किडनी की कोई बीमारी हो जाए तो फ़िर कितनी बार सोचोगे? दिन में कितनी बार अपने दांत पर जीभ फेरते हो? और अगर दांत…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org