तनाव‌ ‌और‌ ‌मनोरोगों‌ ‌का‌ ‌मूल‌ ‌कारण

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आप कहते हैं कि तनाव गलत जीवन जीने का परिणाम है। पर यदि मेरा जीवन ही गलत है तो मुझे हर समय तनाव क्यों नहीं रहता?

आचार्य प्रशांत: यह हर समय मौजूद होता है नहीं तो कभी-कभार परिलक्षित क्यों होता? आपके घर में कभी-कभार साँप दिखाई देता है तो इसका मतलब क्या वो बाकी समय होता नहीं है? होता है, बस छुपा हुआ होता है इसलिए आपको दिखाई नहीं देता है। अगर आपका तनाव लगातार नहीं होता तो बीच-बीच में प्रकट कहाँ से हो जाता? कुछ नहीं से कुछ तो पैदा नहीं हो सकता न! कारण से ही कार्य आता है। कई बार कार्य बिल्कुल दृश्य रूप में प्रस्तुत होता है और कई बार जो कार्य होता है वो पीछे जाकर कारण में समाहित हो जाता है।

जो तनावग्रस्त है, उसकी ज़िन्दगी में तनाव, चिंता और मनोविकार लगातार है। बस वो कुछ मौकों पर प्रदर्शित हो जाता है। ये आपके लिए कोई खुशखबरी नहीं है कि आपका तनाव दिन में दो-चार घंटे ही प्रकट होता है। ऐसे समझ लीजिए, यदि आपका तनाव चौबीस घंटे बना रह गया होता तो आप तनाव से मुक्त हो गए होते। क्योंकि तब आप तनाव से आज़ाद हुए बिना जी नहीं पाएँगे। हम गलत जीवन जी ही इसलिए पाते हैं क्योंकि गलत जीवन का दुष्परिणाम लगातार अपना अनुभव नहीं कराता। अगर कोई ऐसी व्यवस्था हो पाती कि जो गलत जीवन जी रहे हैं, उनको उसी समय तत्काल अपनी गलती का फल मिल जाता तो गलतियाँ होनी ही बंद हो जातीं।

ये दुनिया का खेल, ये सब मायावी कार्यक्रम चल ही इसलिए रहा है क्योंकि गलती करके भी हम सुख पाते हैं। यही तो दुनिया की धुरी है, इसी के इर्द-गिर्द दुनिया नाच रही है। इसी चीज़ ने

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org