डर से निडरता की ओर कैसे जाएँ?
तुमने भय का चुनाव करा है। तुम्हारी हालत ऐसी है, तुम्हारी नियत ऐसी है, तुम्हारी आत्म-परिभाषा ऐसी है, तुम्हारे इरादे और तुम्हारी जिद्द ऐसी है कि तुम्हें भय को पकड़ कर रखना है। जहाँ लालच है वहाँ भय है, जहाँ झूठ है वहाँ भय है, जहाँ अंधेरा है वहाँ भय है।
भय पीछे आता है, पहले कामना आती है। जिसको लालच नहीं उसे डर होगा क्या? जो झूठ नहीं बोल रहा वो किससे डरेगा?