डर बिन-बुलाया मेहमान नहीं है
1 min readMay 11, 2020
डर बिन-बुलाया मेहमान नहीं है।
डर आता ही उनके पास है,
जो उन्हें आमंत्रित करते हैं।
डर को आमंत्रण है
हमारे लालच।
डर को आमंत्रण है
हमारी आसक्तियाँ
डर को आमंत्रण है
हमारी आशाएँ।
तुम डर को आमंत्रण भेजना छोड़ दो,
वो आएगा ही नहीं।
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