डर बिन-बुलाया मेहमान नहीं है
1 min readMay 11, 2020
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डर बिन-बुलाया मेहमान नहीं है।
डर आता ही उनके पास है,
जो उन्हें आमंत्रित करते हैं।
डर को आमंत्रण है
हमारे लालच।
डर को आमंत्रण है
हमारी आसक्तियाँ
डर को आमंत्रण है
हमारी आशाएँ।
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डर बिन-बुलाया मेहमान नहीं है।
डर आता ही उनके पास है,
जो उन्हें आमंत्रित करते हैं।
डर को आमंत्रण है
हमारे लालच।
डर को आमंत्रण है
हमारी आसक्तियाँ
डर को आमंत्रण है
हमारी आशाएँ।
रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org