डर, बंधन और मुक्ति

कोई तुम पर ताकत चला नहीं सकता जब तक तुम्हारे भीतर या तो डर न हो, या तो लालच न हो।

जब भी पाओ कि कोई तुम पर हावी हो रहा है, जब भी तुम पाओ कि तुम्हारे ऊपर किसी ताकत का कब्ज़ा हो रहा है तो समझ जाना कि तुम लालची हो या डरे हुए हो।

लालच को हटाओ, और डर को हटाओ, और कोई डर तुम पर चल नहीं पाएगा।

तुम्हें लड़ने की जरूरत नहीं है सामने वाले से।

जब सामने वाला आए तुम्हें डराने तो उससें मत लड़ो, अपने भीतर देखो कि मेरा लालच कहा है? अपना लालच हटा दो, कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। दूसरे तुम्हारा नुकसान नहीं करते, तुम्हारा अपना मन ही तुम्हारा नुकसान करता है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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