डर और मदद

डर तुम्हें हमेशा किसी बाहर वाले से लगता है और डर में तुम्हें हमेशा ये लगता है कि कोई बाहर वाला तुम्हारा बड़ा भारी नुकसान कर देगा। डर हमेशा तुमसे यही कहता है कि बाहरी की कोई परिस्थिति, कोई दुर्घटना, कोई व्यक्ति तुम्हारा कोई बहुत बड़ा नुकसान कर देगा।

डर यही है न?

“ऐसा हो गया तो क्या होगा?” यही लगता है न डर में?

डर तुम्हें इसलिए लगता है क्योंकि तुम्हें अपने ऊपर ये विश्वास नहीं है कि, “कुछ भी हो…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org