डरते हो क्योंकि भूले बैठे हो

जिसने अपना एकांत पा लिया, उसने अपने आप को पा लिया। उसे पूरी दुनिया मिल गई। और जो दुनिया में ही खोया रहा, उसे दुनिया तो मिली ही नहीं, उसने अपने आप को भी नहीं पाया।तो वो हर अर्थ में भिखारी रह गया। अब तुम देख लो कि तुम्हें क्या करना है।
पहले हिम्मत पैदा करो, पहले थोड़ा अपने डरों को जल जाने दो, उन्हें पोषण मत दो।
तुम तो अपने डर के पक्षपाती बन के खड़े हो जाते हो। तुम तो चाहते हो कि तुम्हारे डर…