ठंड रख!
2 min readMay 2, 2020
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एक सीमा से ज़्यादा तनाव सहने की आदत ही नहीं होनी चाहिए।
“थोड़ा बहुत चलेगा, ज़्यादा करोगे तो हम सो जाएँगे।”
‘सो जाएँगे’ माने गायब हो जाएँगे। ये जीवन जीने का एक तरह का तरीका है, एटिट्यूड है। एक कला है।
इसको साधना पड़ता है।
“देखो भई, थोड़ा बहुत लोड (भार) हम ले लेंगे, पर हम एक सीमा जानते हैं। उस सीमा से ऊपर चीज़ें जब भी गुज़रेंगीं हम कहेंगे, ‘जय राम जी की’।”