ट्विटर पर हर आदमी जाँबाज़ सूरमा कैसे बन जाता है
प्रश्नकर्ता: मैंने देखा है कि मेरे आसपास के सब यार दोस्त लोग जिनका दुनिया में मुँह भी नहीं खुलता, कुछ तो बहुत ही औसत स्तर के हैं, कुछ ऐसे हैं जो फिसड्डी से भी हैं; यह सब लोग ट्विटर और रेडिट वगैरह पर जाकर एकदम योद्धा और सूरमा हो जाते हैं। खूब लड़ते हैं एकदम जोश में, ये क्या है?
आचार्य प्रशांत: ये वही है जो तुम समझ ही रही हो और मेरे मुँह से कहलवाना चाहती हो। जिंदगी में चूँकि कुछ कर पाने का न जोश है, न जज़्बा, न सामर्थ्य, न ईमानदारी; तो जाकर के यूँ ही पहुँच गए और ट्विटर पर किसी को गरिया दिया।
कई लोग तो ऐसे होते हैं कि एक-एक दिन में आठ-आठ, दस-दस ट्वीट हैं और उसके बाद दिन के अस्सी कमेंट् (टिप्पणियाँ) दूसरों के अकाउंट पर जा जाके। खास तौर पर ट्विटर तो जैसे द्वेष, दुर्भावना और गाली-गलौज का अड्डा बना हुआ है।
ट्विटर पर हर आदमी एक घायल योद्धा है। जिंदगी की जिसने बड़ी महान लड़ाइयाँ लड़ी हैं और अब आकर के जीवन भर में उसने जो जहर इकट्ठा करा है, उसको उगल रहा है कभी इस अकाउंट पर, कभी उस अकाउंट पर। अभी कल-परसों मैंने जर्मन विचारक हैं, ऑर्थर शॉपेनहॉवर, उनको लेकर के एक ट्वीट डाली। जिसमें मैंने जो नीचे चित्र होता है, जो अटैचमेंट (संलग्न) होता है, उसमें मैंने पहले उनको उद्धरत करा है, उनको कोट करा है उन्हीं के शब्दों में, जहाँ पर उन्होंने उपनिषदों के बारे में कुछ बोला है, बहुत कुछ बोला।
उन्होंने बोला है कि, “मेरे दर्शन पर उपनिषदों का बड़ा गहरा प्रभाव रहा है और उपनिषदों को अगर कोई पढ़ ले तो उसके जीवन में, उसके…