झूठ के दाग

आचार्य प्रशांत: प्रिपरेशन, न प्लानिंग, न परमिशन । सच तो है, उसकी क्या तैयारी करनी। झूठ की ही तैयारी होती है।

दुनिया की कोई ताक़त तुमसे वो नहीं करवा सकती जिस बारे में तुम्हें स्पष्टता है। तुम चाय पी रहे हो, उसमें तुम्हें दिख गया कि मक्खी है, तो क्या तुम मुझसे पूछोगे कि सर, चाय में मक्खी हो तो मक्खी फेंकना ज़रूरी है क्या? क्या पूछोगे मुझसे? नहीं पूछोगे ना? तुम उसे फेंक दोगे, क्योंकि तुम्हें पता है कि ये मक्खी है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org