झूठ की मजबूरी जानते हो?

उन गलतियों की
कोई माफ़ी नहीं है,
जहाँ आप जानते हैं
क्या सही क्या गलत
लेकिन जानते-बूझते
गलत को चुनें।

फैसले की घड़ी
कुछ देर की चुनौती होती है।
लालच-डर-वासना
ये उस समय ज़ोरदार हमला करते हैं।
इनका वार बस
उस एक घड़ी
बर्दाश्त कर जाओ
तो लंबे समय
चैन से जियोगे।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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