झूठा प्रेम

हमने सब झूठी चीज़ों को प्रेम का नाम दे दिया है — “मुझे तुमसे एक आकर्षण हो गया क्योंकि मेरी एक ख़ास उम्र है और तुम्हारी भी एक ख़ास उम्र है। इस उम्र में शरीर की ग्रंथियाँ सक्रिय हो जाती हैं।” सीधे-सीधे ये एक शारीरिक आकर्षण है, यौन आकर्षण है। मैं इसको क्या नाम दे देता हूँ? मैं बोल दूँगा, “ये प्रेम है।”

क्या ये प्रेम है?

पर नाम हम इसे प्रेम का ही देंगे।

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org