झट से माफ़ी माँग बच निकलते हो

माफ़ी माँगना बहुत बड़ा धोखा है। माफ़ी मांगने से तुम सामने वाले को बता रहे हो कि तुम्हारे सामने दो विकल्प थे: चोट पहुँचना और नहीं पहुँचना, लेकिन मैंने चोट पहुंचाई और इसीलिए अभी मैं माफ़ी मांग रहा हूँ कि मैंने गलत किया।

लेकिन तुम झूठ बोल रहे हो क्योंकि चोट पहुँचाने के अलावा और तुम कुछ कर ही नहीं सकते थे।

माफ़ी मांग कर आप यह जताना चाहते हैं कि आदमी तो मैं अच्छा हूँ लेकिन उस वक़्त धोखे से गलती हो गई। आपसे धोखे से गलती नहीं हो गई थी, आपके पास फिसलने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था।

दूसरे से माफ़ी माँग लेना यह बहुत छोटी सी बात है लेकिन अपनेआप से स्वीकार करना वह बहुत बड़ी बात है। यह स्वीकार करना कि मेरा जीवन ऐसा बीत रहा है जिसमें मुझे कुछ नहीं पता कि क्या चल रहा है और क्यों चल रहा है वो महा क्रान्ति है।

प्रायश्चित पाप को और बढ़ता है क्योंकि अब तुम्हें पता है कि पाप कर लेंगे क्योंकि प्रायश्चित तो मिल ही जाना है।

हर प्रायश्चित अहंकार को बढ़ाने की बढ़िया विधि है, तुम मन को बता रहे हो सब साफ़ हो गया, तुम मन को बता रहे हो सब ठीक है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org