ज्ञान प्राप्ति और शारीरिक बाधाएँ
ज्ञान प्राप्ति और शारीरिक बाधाएँ || आचार्य प्रशांत (2019)
31 अक्तूबर 2021 | आचार्य प्रशांत
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपको ज्ञान कब प्राप्त हुआ?
आचार्य प्रशांत: ज्ञान किसी पल में घटने वाली कोई घटना नहीं है कि "एक सितंबर को शाम साढ़े-चार बजे ज्ञान हुआ"। ज्ञान लगातार होता रहता है, अनवरत प्रक्रिया है जिसका कोई अंत नहीं।
प्र: ये भी तो कहते हैं न कि बुद्ध को इस तारीख को बुद्धत्व हुआ?
आचार्य: जब ब्रह्म अनंत है तो ब्रह्मलीनता का कोई अंत कैसे आएगा? बताओ। जो अनंत है उसके सिरे पर कभी पहुँच पाओगे क्या? तो वो लगातार होता रहता है। जीवन के अनुभव, उन अनुभवों से सीखना, इसीलिए जीवन है। सीखते चलो अनुभवों से, जब तक अनुभवों से अलग ही ना हो जाओ, जब तक अनुभवों के पार ना निकल जाओ, अनुभवों से अछूते ना हो जाओ।
तो कोई एक नहीं है अनुभव, कि जवान थे तो एक अनुभव हुआ तो ज्ञान हो गया या कोई विशिष्ट घटना घटी। ऐसा कुछ नहीं।
प्र: तो जो अनुभवों के पार गया, उसमें और माइंड (मन) में कोई फ़र्क़ है? माइंड (मन) तो उन्हीं चीज़ों के पीछे ही भागेगा।
आचार्य: ये तुम आश्वस्त मत रहो। माइंड (मन) बहुत ज़्यादा ऊर्जावान या बलशाली होता नहीं है। तुम्हारी प्यास मन को ताक़तवर बना देती है। मन दौड़ता है, ये तो तुम कह देते हो। ये छुपा जाते हो कि मन को दौड़ाता कौन है। मन की टाँगों को ऊर्जा कौन देता है? वो ऊर्जा देते हो तुम।
तो ऐसा नहीं है कि तुम समझदार होते जाओगे फिर भी मन चंचल ही रहेगा और पागल ही रहेगा। तुम मन से जैसे-जैसे हटते जाते हो, मन वैसे-वैसे शांत, संयमित, शालीन होता जाता है। मन से भी पूछोगे कि "मन तेरा बोझ कौन…