ज्ञान इकट्ठा करके नहीं जान पाओगे
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पढ़ा, सुना, सीखा सभी, मिटी न संशय शूल।
कहें कबीर कैसों कहूँ, यह सब दु:ख का मूल।।
~ संत कबीर
आचार्य प्रशांत: पढ़ने, सुनने, सीखने के बाद भी एक संशय बच जाता है। एक ही संशय होता है। और वह संशय सदा यही होता है कि “क्या यह मेरे लिए ठीक है? हाँ, ठीक! कबीर ने कुछ कह दिया, नानक ने कुछ कह दिया, अष्टावक्र ने कुछ कह दिया, जीज़स ने कुछ कह दिया, उन्होंने कह दिया है! पर…