जो ज़िन्दगी से सुरक्षित हो गया, वो ज़िन्दगी से कट गया

जिसने अपने आप को ज़िन्दगी से जितना बचा लिया, उसके लिए उतना मुश्किल हो जाएगा होश को पाना। ज़िन्दगी के विरुद्ध जितने कवच हैं आपके पास, जितनी सुरक्षा है आपके पास, उतना ही आप ज़िन्दगी से दूर-दूर, कटे-कटे रहोगे। और ज़िन्दगी से खूब धोखा खाओगे।

जो ज़िन्दगी से जितना दूर है, वो ज़िन्दगी से उतना ही धोखा खाएगा।

और ज़िन्दगी से दूर रहने का तरीका क्या है? ज़िन्दगी के विरुद्ध सुरक्षा में रहना। एक निर्धारित जीवन जीना। एक सुनियोजित भविष्य का निर्माण कर लेना। ये है ज़िन्दगी के ख़िलाफ़ सुरक्षा का आयोजन।

जो ज़िन्दगी से सुरक्षित हो गया, वो ज़िन्दगी से कट गया। जीवन अब उसे कुछ नहीं सिखा पाएगा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org