Sitemap

Member-only story

जो सिर्फ़ पेट के लिए जिए वो जानवर

आदमी काम इसलिए करता है क्योंकि आदमी को सिर्फ़ पेट नहीं चलाना है, आदमी को कुछ और चाहिए। पर अधिकांश लोग काम के नाम पर सिर्फ़ पेट चलाते हैं, और धिक्कार है ऎसी ज़िन्दगी पर जो पेट के लिए जी जा रही है।

चाहे अपना पेट हो या दूसरे का पेट हो!
पेट के लिए जो जी रहा है, सो पशु है।

मनुष्य को कर्म करने हैं, और समस्त कर्मों का एक ही आशय हो सकता है - मुक्ति।

जो कोई पेट के लिए नौकरी कर रहा है, चाहे वो ऊँची से ऊँची नौकरी कर रहा है, वो है जानवर ही। तो ये जो नौकरीपेशा लोग हैं, मैं इनसे कह रहा हूँ, ये कर क्या रहे हो?

पशुओं से भी गए-गुज़रे हो? पशु तो वही कर रहे हैं जो करने के लिए वो निर्मित हैं।

भोग के अलावा मुझे बताओ कोई वजह है तुम्हारे पास जीने की? सपने भी है तुम्हारे जितने भी, उनके केंद्र पर क्या बैठा है? सारी तरक्की चाहते किसलिए हो? उपभोग के लिए ही अगर जी रहे हो, उपभोगता ही अगर बन गए हो, तो छि!

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

No responses yet