जो सिर्फ़ पेट के लिए जिए वो जानवर
आदमी काम इसलिए करता है क्योंकि आदमी को सिर्फ़ पेट नहीं चलाना है, आदमी को कुछ और चाहिए। पर अधिकांश लोग काम के नाम पर सिर्फ़ पेट चलाते हैं, और धिक्कार है ऎसी ज़िन्दगी पर जो पेट के लिए जी जा रही है।
चाहे अपना पेट हो या दूसरे का पेट हो!
पेट के लिए जो जी रहा है, सो पशु है।
मनुष्य को कर्म करने हैं, और समस्त कर्मों का एक ही आशय हो सकता है - मुक्ति।