जो समय में है वो समय बर्बाद कर रहा है

आचार्य प्रशांत: पहली बात तो ये कि समय को नहीं मैनेज किया जा सकता। ध्यान से समझिएगा इस बात को। समय का अर्थ है एक प्राकृतिक परिवर्तन जो हो ही रहा है। उसको कोई नहीं मैनेज कर सकता। होना उसका स्वभाव है, वो होगा। हाँ, एक एंटिटी है, जिसको मैनेज किया जा सकता है यदि उसे समझा जाए तो। और समझना ही मैनेज करना है। समझने और मैनेज करने में कोई ख़ास अंतर नहीं है। एक बार समझ लिया तो मैनेज हो जाएगा। या इसको ऐसे कह लेते हैं कि एक बार समझ लिया…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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