जो वचन आपसे न आए, वही मीठा है

ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन
को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय।।

~ संत कबीर

बड़ी गलती कर देते हैं हम, हमें लगता है कबीर कह रहे हैं: ऐसी वाणी बोलिये जिससे मन का आपा खो जाए, नहीं । कबीर कह रहे हैं - ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय - मन का आपा पहले खोया है, वाणी उससे उद्भूत हो रही है। ऐसी वाणी बोलो, मन का आपा खो कर। वाणी तो चरित्र है, आचरण है, वो तो फल है। हर कर्म…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org