जो मध्य में चलते हैं वो दोनों तरफ से पिटते हैं

मध्यम मार्ग का मतलब पता है क्या होता है?

मध्यम मार्ग का मतलब ये होता है कि एक ऐसी सड़क जिसमें विभक्त है ही नहीं, उसमें बीच में चलना।

ये दोनों तरफ से पिटेगा। मध्यम-मार्गियों का यही होता है कि वो दोनों तरफ से पिटते हैं, क्योंकि वो सोच रहे हैं कि बीच में किसी तरीके की सुरक्षा है। बीच का जो बिंदु है, वो सुरक्षा का नहीं, वो सबसे तीव्र आघात का, और पीड़ा का, और कष्ट का बिंदु है। जिन्होंनें भी चाहा है बीच में चलना, उन्होंनें सबसे ज़्यादा मार खाई है। यदि आपको बचना है, तो या तो उधर चल लो, या तो इधर चल लो; मध्य में कभी मत चलना, ये मध्य वाले बहुत मार खाते हैं।

बद्ध भी बेचारे अफ़सोस करते होंगे कि किस मौके पर उन्होंनें ये शब्द दे दिया था: ‘मध्यम-मार्ग’। क्या उन्होंनें बोला, क्या हम उसका अर्थ करते हैं। हमारे लिए मध्यम-मार्ग का अर्थ हो जाता है कि हमारा जितना डर है, हमारी जितनी विद्रूपताएं हैं, सबको एक साथ लेकर के चलना — ना ये छोड़ेंगे, ना वो छोड़ेंगे।

मध्य का मतलब है: इधर भी पकड़ कर रखेंगे, उधर भी पकड़ कर रखेंगे।

अब से जब भी किसी जानवर को या शराबी को सड़क के बीच चलते देखना, तो जान जाना कि मध्यम पंथी है ये। बिल्कुल बीचों-बीच चल रहा है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org