जो भीतर से मुक्त है, वही बाहर से संघर्ष कर पाएगा
6 min readMar 22
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श्रीदुर्गासप्तशती पर
आचार्य प्रशांत: तीसरे और उत्तर चरित्र का तेहरवाँ और अंतिम अध्याय।
ऋषि कहते हैं — “राजन! इस प्रकार मैंने तुमसे देवी के उत्तम माहात्म्य का वर्णन किया। जो इस जगत को धारण करती हैं, उन देवी का ऐसा ही प्रभाव है। वे ही विद्या उत्पन्न करती हैं। भगवान विष्णु की मायास्वरूपा उन भगवती के द्वारा ही तुम, ये वैश्य तथा अन्यान्य विवेकी जन…