जो भरम उसे भरम, जो परम उसे परम
जीवन में जो तुम्हें मिल रहा है, वो ठीक वैसा ही है जैसी तुम्हारी पात्रता है।
जीवन अगर तुम्हें लगता है कि कहीं तुम्हारा असम्मान कर रहा है, तो निश्चित रूप से कहीं न कहीं तुमने सत्य का असम्मान करा है।
जिसे सत्य दिखाई देता है, उसे सत्य मिलेगा और जिसे लगता है कि भरम है, उसे भरम ही मिलेगा।