जो बेवकूफ़ियाँ अपने भीतर

लेकर घूम रहे हो

उसका नाम है माया।

जो व्यर्थ की धारणाएँ,

और रिश्ते, और मोह, और मात्सर्य

अपने भीतर लेकर घूम रहे हो

उसी का नाम है माया।

हमारी ही आँखों में जो

ये बेहूदा आत्मविश्वास चढ़ा होता है

इसका नाम है माया।

ये जो हम सुनने, सीखने, समझने से

इतना परहेज़ करते हैं,

इसी का नाम है माया।

ये जो हमारी कल्पनाएँ हैं,

जो बिलकुल निरर्थक हैं,

पर जिनमें हमारा गहरा यकीन है,

इन्हीं का नाम माया।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org