जो तुम उपलब्ध करना चाहते हो, अपने आप को बार-बार याद दिलाओ कि वो तुम क्यों उपलब्ध करना चाहते हो, और वो उपलब्ध करके क्या मिलेगा।

उपलब्धि से पहले की प्रेरणा क्या है, इंस्पिरेशन क्या है — ये अपने आप को बार-बार याद दिलाओ, क्योंकि ये हम भूल जाते हैं। और उपलब्धि के बाद क्या मिलेगा, उसका परिणाम क्या है, रिसल्ट क्या है, ये भी अपने आप को बार-बार याद दिलाओ, क्योंकि वो भी हम भूल जाते हैं।

यूँही तुमने किसी चीज़ को उपलब्ध करने की कोशिश शुरु नहीं की है।

हम पागल तो नहीं हैं कि हम यूँही किसी चीज़ पर मेहनत डाल रहे हैं। हम जो उपलब्ध करना चाहते हैं, जो पाना चाहते हैं, उसको पाने के पीछे हमारे पास वाजिब कारण हैं। तभी तो हम मेहनत कर रहे हैं न? वो कारण हम अकसर भूल जाते हैं, क्योंकि वो कारण दिखाई नहीं देता।

दिखाई भले न देता हो, तुम देखते रहो। जितने तरीकों से याद रख सकते हो, उसको याद रखो। और अगर पा गए, जीत गए, तो उसका अंजाम क्या मिलेगा, उस अंजाम को याद रखो। उस अंजाम में ज़रूर कोई कीमत होगी, तभी तो तुम मेहनत कर रहे थे न? तो उस अंजाम को बार-बार याद करो। वो अंजाम तुम्हें ताकत देगा मेहनत करते रहने की।

जो तुम्हें चाहिए , उसको याद करो।

वही तुम्हें ताकत देगा, मेहनत करते रहने की।

नहीं तो, मेहनत से तो कोई भी भागता है, आदमी हो चाहे जानवर हो।

~आचार्य प्रशांत

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org