जो डरा हुआ है, वो प्रेम या मदद क्या करेगा
मुझे ये चीज़ बड़ी अजीब लगती है कि जब एक डरा हुआ मन प्रेम का प्रदर्शन करना चाहता है, या फ़िक्र का, या करुणा का और फिर कहता है कि देखो मेरी मज़बूरी है कि मैं चाहते हुए भी किसी की मदद नहीं कर सकता।
अरे भाई! अभी तुम मदद के काबिल ही नहीं हो, तुम्हारे लिए तो अभी तुम्हारे स्वार्थ ही सर्वोपरी हैं। तुम कैसे किसी की मदद कर लोगे?
किसी ऐसे व्यक्ति का आतिथ्य, प्रेम, या करुणा स्वीकार मत करना जो अभी अपनी ही चिंता में संलग्न हो, जिसको अभी अपनी ही बहुत परवाह है, वह तुम्हें सहारा नहीं दे पाएगा। तुम किसी को सहारा कैसे दे पाओगे जब तुम अपनी ही परवाह से मुक्त नहीं हुए?
इतना ही होगा कि तुमने उसे सहारे का झूठा आश्वासन दे दिया और अंततः तुम उसका विश्वास तोड़ दोगे।
उसी से मदद लेना जो अब मदद मांगता न हो औरे तुम भी तभी मदद देना जब तुम खुद मदद लेने के पार जा चुके हो। भिखारियों से भिख मत लेने लगना।
पूरा वीडियो यहाँ देखें।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।