जो कुछ भी तुम्हें लगता है कि तुम्हारी मालकियत में आ गया वो तुम्हारा मालिक हो जाता है

क्योंकि तुम उसके साथ अपनी पहचान जोड़ लेते हो!

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org