जो शारीरिक रूप से जवान है, उसमें ऊर्जा है भिड़ जाने की, चल लेने की, चुनौतियों को स्वीकार कर लेने की। है न?

जो आध्यात्मिक रूप से युवा है, उसमें ऊर्जा है अपने जीवन के बंधनों को काट देने की।

जो शारीरिक रूप से युवा है, उसमें आकर्षण होता है दूसरे किसी आकर्षक, सुंदर शरीर के प्रति। जो मानसिक या आध्यात्मिक रूप से युवा है, उसमें आकर्षण होता है सौंदर्य मात्र के प्रति;

वो जो वास्तव में सुंदर है।

वो जिसमें शिवत्व है इसलिए सुंदर है — “सत्यम् शिवम् सुन्दरम्”।

जब आप में सौंदर्य मात्र के प्रति अनुराग जग जाए, जब आप किसी ऐसी सच्चाई के प्रति आकर्षित होने लग जाओ, खिंचने लग जाओ, जो आपको अपने आस-पास कहीं दिखाई न देती हो, जब अपने प्रेम और अपने सपने से निष्ठा करने के लिए आपके पास अदम्य ऊर्जा-उत्साह भी हो, तब आप कहलाते हो कि आप वास्तव में जवान हो गए।

ये यौवन का असली अर्थ है।

~ आचार्य प्रशांत

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org