Jul 3, 2022
जो अपने स्वाभाविक चेहरे में ही रहते हैं, उन्हें धन्यता यह मिलती है कि अब वो हज़ार अन्य चेहरे पहन सकते हैं।
वो सारे चेहरे अब जीवन हैं उनके लिए — अब गति है, अब क्रीडा है, शोभा है, अभिव्यक्ति है।
और जिसके पास अपना चेहरा नहीं, वो भी हज़ार अन्य चेहरे पहनता है, उसके लिए वो सारे चेहरे — विवशता हैं, मजबूरी हैं, एक कारुणिक क्रंदन है।