Jun 27, 2022
जो अपने लक्ष्य को चौबीस घंटे समर्पित करता हो, अपने पाँच मिनट बर्बाद करने वाले के ऊपर वो बुरा मानेगा।
मगर जो दिन में अपने लक्ष्य को दो घंटे ही देता हो, उसके कोई ४-७ घंटे बर्बाद कर लेगा तो उसे बुरा नहीं लगेगा।
जिन्हें १०० चाहिए होता है, उन्हें ही ९९ से परेशानी होती है। वरना लोग ५०-६० में भी खुश रहते हैं।
पूर्णता से प्रेम होना चाहिए; फिर उसमें कोई कमी हो तो तुम बर्दाश्त नहीं कर पाते।
जो भी अड़चन हो, उसे तुम उखाड़ फेंकते हो।