जीवन में ऊब और परेशानी क्यों?
प्रश्न: आचार्य जी, मानव जीवन में ‘बोरियत’ शब्द का क्या कोई वास्तविक मतलब है? मैं अपने आसपास बहुत लोगों को यह बोलते सुनती हूँ कि — “बहुत बोर हो रहे हैं।” लेकिन मैं अपने जीवन में अभी बोरियत या ऊब महसूस नहीं करती हूँ, चाहे मैं अकेले ही बैठी हूँ। तो मुझे अभी-अभी ऐसा लगता है कि मैं ही ग़लत हूँ, और मेरे आसपास लोग ज़्यादा एक्टिव हैं, सक्रिय हैं। तो ये बात क्या है?
आचार्य प्रशांत: एक्टिव, सक्रिय, किस लक्ष्य की तरफ़?
प्रश्नकर्ता १: लोग जैसे महसूस करते हैं कि बोर हो रहे हैं, लेकिन मैं ऐसा कभी महसूस नहीं करती हूँ।
आचार्य प्रशांत: कदम-दर-कदम चलिए न। कुछ कर रहे हैं वो। और जब वो उस काम को नहीं कर पाते, तो परेशान हो जाते हैं, और उसी को कहते हैं — ऊब।
क्या कर रहे हैं वो?
प्रश्नकर्ता १: जॉब (नौकरी) कर रहे हैं ।
आचार्य प्रशांत: जॉब तो नाम है। क्या कर रहे हैं वो?
प्रश्नकर्ता १: मैं तो यही देखती हूँ कि जॉब कर रहे हैं वो।
आचार्य प्रशांत: ‘जॉब’ नाम है। क्या कर रहे हैं वो?
प्रश्नकर्ता १: जो उनका काम है, वो कर रहे हैं वो।
आचार्य प्रशांत: आप इस भाषा में बात करेंगी, तो आपको कुछ समझ नहीं आएगा। संसार की भाषा में बात करेंगी, तो संसार से आगे कुछ दिखाई भी नहीं पड़ेगा। थोड़ा साफ़ भाषा में बात करिए न।