जीवन को कैसे बेहतर बनाया जाए?

जहाँ समय का निवेश नहीं करना चाहिए, वहाँ करना बंद करो।

जो काम अज्ञान में करे जा रहे हो, उन कामों को विराम दो।

जो रिश्ते तुम्हारी बेहोशी और अंधेरे को और घना करते हैं, उन रिश्तों से बाहर आओ। उन रिश्तों को नया करो।

धन का, जीवन का, अपनी ऊर्जा का जो हिस्सा तुम अपनी अवनति की ओर लगाते हो, उसको रोको। यही राह है।

और ये राह तुमको पता है, क्योंकि भली-भांति जानते हो कि तुम्हारे जीवन में दुःख कहाँ है। जहाँ कहीं तुम्हें दुःख है, भय है, संशय है, जहाँ कहीं तुम्हारे जीवन में पचास तरह के उपद्रव हैं, उस तरफ़ को बढ़ना छोड़ो ।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org