जीवन के सुख-दुःख क्या भाग्य पर निर्भर करते हैं

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, पिंगला गीता में श्लोक क्रमांक १८ से २१ से प्रश्न है।

श्लोक कहते हैं:

“संसार में विषयों की तृष्णा से जो व्याकुलता होती है, उसी का नाम दुःख है, और उस दुःख का विनाश ही सुख है। उस सुख के बाद (पुनः कामनाजनित) दुःख होता है। इस प्रकार बारम्बार दुःख ही होता रहता है।” (१८)

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org