जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय में ही कामवासना क्यों प्रबल होती है?
प्रकृति नहीं चाहती कि तुम अपनी मुक्ति का आयोजन करो, कभी मैं कह देता हूँ प्रकृति तुम्हारी मुक्ति के प्रति उदासीन है और कभी मैं कह देता हूँ कि प्रकृति तुम्हारी मुक्ति की विरोधी है। जब तुम्हारे पास बुद्धि की तीव्रता सबसे ज़्यादा होती है और बाहुबल भी सबसे ज़्यादा होती है ठीक उसी समय प्रकृति अपना दांव-पेंच खेलती है। जवानी के बाद तुम शारीरिक, मानसिक दोनों तरीके से गिर जाते हो, जवानी में…