जिसने असत्ता जानी शरीर और मन की, वही करेगा खोज अब स्वयं की
3 min readSep 9, 2020
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एक दिन ऐसा होयगा, कोय काहू का नाही,
घर की नारी को कहै, तन की नारी जाहि।।
~ संत कबीर
आचार्य प्रशांत: कबीर ये नहीं कह रहे हैं कि एक विशेष दिन ऐसा होगा, ऐसा है ही। न घर की नारी तुम्हारी है और न शरीर की नाड़ी तुम्हारी है। तुम्हारे चलाने से शरीर की नाड़ी चल रही है क्या? और तुम किस भ्रम में हो कि तुम्हारे घर की नारी…