जिन्हें ताकत चाहिए, वे ज़िम्मेदारी स्वीकारें

जो भी तुम्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर बनाए, उसे ज़हर की तरह त्याग दो।
~ स्वामी विवेकानंद
जो बल तुम्हें ध्यान की ओर न ले जाए, वो बल ही झूठा है। यदि कोई सत्य की बात करता हो और उसमें बल न हो, तो समझ जाओ कि वो झूठ में जी रहा है।
प्रेम कोई मुलायम तकिया नहीं है। प्रेम तो जीवट है, संघर्ष है। वस्तुतः अध्यात्म बल की ही साधना है।…