जिन्हें आगे बढ़ना हो, वो वापस लौटने के रास्ते बंद करें

प्रश्नकर्ता: जीवन में शांति है, स्थिरता है, जीवनशैली में बदलाव आया है। क्रोध अब नहीं आता, किन्तु डर रहता है कि पुराना जीवन हावी न हो जाये। ये डर क्यों लगता है और इसे कैसे दूर करूँ?

आचार्य प्रशांत: ये डर आपको इसलिए लगता है क्योंकि पुराने जीवन में वापस लौटने के रास्ते आपने अभी बंद नहीं करे हैं। ये डर आपको वास्तव में अपने आप से लगता है, क्योंकि ये नई शांति और स्थिरता पा लेने के बाद भी अभी आपके भीतर वो बचा ही हुआ है जो अशांति और अस्थिरता का कारण था। बीज रूप में वह अभी भी जीवीत है।

आपको मालूम है जो शांति और स्थिरता आपको मिले हैं वह बहुत मूल्यवान हैं लेकिन अमर नहीं हैं, वो शांति छीन सकती है। आपको इसलिए डर लगता है।

जिस तरफ को आप जा रहे हैं, जो आपका शांति और स्थिरता का देश है, वहाँ चीज़ें महंगी आती हैं, वहाँ चुनौतियाँ होती हैं। और चुनौतियाँ जब आयेगी तब भीतर से ये इच्छा उठेगी कि इतनी कठिनाइयाँ कौन झेले, चलो वापस लौट लें और जिसके पास भी विकल्प खुला हुआ है लौटने का, वो उस विकल्प का प्रयोग कर भी डालेगा। आपको यही डर लग रहा है कि कहीं आप उस विकल्प का प्रयोग कर ना डालें? तो उस डर से अगर मुक्ति चाहिए तो विकल्प को ही खत्म कर दीजिए।

आपने जो भी पुल बना रखे हैं, आपने जो भी संपर्क सूत्र जिन्दा छोड़ दिये हैं उन्हें खत्म कर दीजिए क्योंकि जब नए रास्तों पर कठिनाइयाँ आयेंगी, तो यही वो संपर्क सूत्र हैं जो आपके लिए जानलेवा बनेंगे, इन्ही सूत्रों का इस्तेमाल करके आप पुरानी दुनिया में वापस लौटेंगे।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

More from आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant