जिन्हें अकेलापन जकड़ता हो

‘लोनलीनेस’ अपनेआप को बहुत होशियार समझती है। यह जो अकेलापन है, जो आंतरिक निर्जनता, तन्हाई है, यह सिर्फ यही नहीं कहती कि “मैं परेशान हूँ” — ये यह भी कहती है कि “मैं परेशानी का समाधान जानती हूँ”। बहुत होशियार समझती है अपनेआप को। यह कहती है अकेलापन दूर करने के लिए यहाँ जाओ, वहाँ जाओ। जब बहुत शोर ही मचाने लगे यह तो इसकी सलाह मान लो। यह जहाँ को भी भेज रही है, वहाँ चले जाओ। वहाँ जाओ, मुँह की खाओ और परेशान हो, नाक कटाओ, मुँह काला करो, वापस आ जाओ। और…