जानवर के लिए नेचर है — प्रकृति। मनुष्य के लिए नेचर है — आत्मा।

तो मत बोल दिया करो, “कामवासना तो नेचुरल है न!”

सांड कामुक हो गाय की ओर भागे, ये नेचुरल है।

पर पुरुष भागे अगर स्त्री की ओर, ये नेचुरल नहीं।

मनुष्य यदि सांड-सा व्यवहार करेगा, तो बात प्राकृतिक नहीं, पाशविक होगी।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org