जानवरों के प्रति व्यवहार, और आपके मन की स्थिति

जानवर से प्यार तो तब होगा न जब पहले आपका मन साफ़ हो। हम तो ख़ूब जानवरों से प्यार करते हैं। अभी-अभी सुबह, हम जा रहे थे, तो एक मकान के सामने रुके, वहाँ एक आदमी था, उसे अपने कुत्ते से बहुत प्यार था। तो हम जिसको प्यार करते हैं उसके साथ क्या करते हैं?

उसके गले में पट्टा बाँध देते हैं। आपको जिससे जितना प्यार होगा, आपने उसको उतना बड़ा कुत्ता बनाया होगा। और ‘कुत्ते’ से मेरा अर्थ वो कुत्ता नहीं, ‘कुत्ते’ से अर्थ है, जो हम उसे बना देते हैं — इसके गले में पट्टा डालो, चेन डालो, बाँध दो। मैंने उससे पहला सवाल यही पूछा। मैंने कहा, “ऐसे ही बंधा रहता है?” बोला, “हाँ।” पत्नियों से पूछो, “पति क्या ऐसे ही बाँधकर रखती हो?”, “हाँ।” माँओं से पूछो, “बेटी?”, “हाँ।”

तो आदमी के प्रेम का मतलब क्या है? भगवान बचाए आपके प्रेम से। आपके पास कोई आए और बोले, “तुमसे नफ़रत है,” तो कहिएगा, “ठीक है, झेल लेंगे, ख़ुदा हमारे साथ है।” पर आपके पास कोई आए और कहे, “प्यार हो गया है तुमसे,” सर पर पाँव रखकर भागिएगा, और मुड़कर मत देखिएगा। मुड़कर मत देखिएगा! उसके पास पट्टा और ज़ंज़ीर है। तो मत कहिए कि आदमी को सब जानवरों से प्यार हो जाए, हमारा तो प्यार बड़ा ही बदबूदार प्यार है।

तोप की मार में, तीर में न तलवार में, सारे वार सह लिए, मारे गए प्यार में।

ये सब जो सूरमा फिरते रहते हैं मुँह लटकाए, उनसे पूछो कि — “पूरी दुनिया से तो लड़े रहते हो, मारे कहाँ गए हो?” वो बता देंगे।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org