जानवरों का शोषण करने की सज़ा
प्रश्नकर्ता: पश्चिम में जानवरों का मांस और जानवरों से उत्पन्न उत्पाद को खाने में प्रचूरता से उपयोग में लाया जाता है। पश्चिम के लोग शारीरिक दृष्टि से भी संमृद्ध हैं और आर्थिक दृष्टि से भी।
तो क्या प्रकृति को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता? और अगर पड़ता है तो किस रूप में प्रकट होता है?
आचार्य प्रशांत: दो बातें होती हैं- एक होता है ये जो शरीर और मन की बात है। एक होती है इनकी खुशी कि आप इनकी…