जानते-बूझते क्यों फिसल जाता हूँ

आचार्य प्रशांत: अजीत का सवाल है कि ये सारी बातें बहुत अच्छी हैं। अभी सुन रहे हैं तो समझ में भी आती हैं लेकिन बाहर निकलते ही परिस्थितियाँ कुछ ऐसे बदलती हैं कि हम इन पर चल नहीं पाते। बाहर लोग हैं, ताकतें हैं जो जानते-समझते भी हमको वो करने नहीं देते जो उचित है। वो पढ़े लिखे लोग हैं फिर भी हमको गुमराह करते रहते हैं। दो हिस्से हैं अजीत। एक हिस्सा तो यह है कि हम अपने आप को देखें और दूसरा कि दूसरों को देखें। जब अपने आप को देखें तो ये सवाल…