जाग्रत्, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय – ये चार अवस्थाएँ क्या हैं?
आचार्य प्रशांत: अब आते हैं अगले प्रश्न पर, “जाग्रत्, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय – ये चार अवस्थाएँ क्या हैं?” इसका जो शास्त्रीय तरीका है बताने का, शुरुआत वहाँ से करेंगें। दस तो मानी गईं हैं इंद्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ। और उसके अलावा होता है अन्तःकरण। अन्तःकरण क्या? अन्तःकरण चतुष्टय, जिसमें चार आते हैं। कौन से चार? जो अंदर के हैं। इंद्रियाँ वो जो सीधे-सीधे बाह्य जगत से संपर्क रखती हैं। और अन्तःकरण चतुष्टय में वो आते हैं चार जो अंदर-अंदर बैठे हैं, जो सीधा संबंध नहीं रखते बाहरी जगत से। वो चार क्या हैं? मन, बुद्धि, चित्त और…